Kamakhya Devi Mandir Guwahati कामाख्या मंदिर की असली कहानी क्या हैं?

Kamakhya Devi Mandir Guwahati कामाख्या मंदिर असम, भारत के गुवाहाटी शहर के पास, नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर असम के मुख्य धार्मिक स्थलों में से एक है और यह शक्ति पीठ के रूप में प्रमुख है। कामाख्या मंदिर को तांत्रिक और तांत्रिक साधना की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, और यह मंदिर मां कामाख्या की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। Kamakhya Devi Mandir Guwahati.

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इस मंदिर का महत्व इसी बात पर आधारित है कि यहां पर मां कामाख्या के योनि का प्रतीक पूजा किया जाता है, और यह एक तांत्रिक स्थल के रूप में जाना जाता है। मां कामाख्या का योनि प्रतीक योनितन्त्र केkamakhya devi temple रूप में भी जाना जाता है और इसे योनिपीठ के रूप में भी पुकारा जाता है।

कामाख्या मंदिर वास्तुकला में भी महत्वपूर्ण है और इसका आकृति विशेषत: चौड़ाई और विस्तार है। मंदिर के चारों ओर कई छोटे मंदिर भी मौजूद हैं और मुख्य मंदिर की ऊँचाई से पार्वती पर्वत की शुरुआत का स्थल देखा जा सकता है।

कामाख्या मंदिर असम का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और वर्ष में कई यात्री और पूजारी यहाँ दर्शन करने आते हैं, विशेषत: मां कामाख्या के महात्म्य के साथ। यह मंदिर असम के साथ ही पूरे भारत में एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में माना जाता है। Kamakhya Devi Mandir Guwahati.

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कामाख्या मंदिर की असली कहानी क्या हैं? Kamakhya Devi Mandir Guwahati

कामाख्या मंदिर की कहानी धार्मिक और पौराणिक तथ्यों के साथ जुड़ी हुई है, और यह कहानी मां कामाख्या के पूजन के प्रमुख पुरातात्विक और धार्मिक महत्व को दर्शाती है।

कामाख्या मंदिर के महत्वपूर्ण पुराणिक कथा Kamakhya Devi Mandir History

  • शिव पुराण:- एक प्रमुख कथा के अनुसार, देवी सती के शरीर के अंशों का शिव द्वारा विरोध करने पर उनकी योनि के अंश यहां कामाख्या पहाड़ी पर गिरे थे। इसलिए कामाख्या मंदिर को इस घटना के स्थल के रूप में माना जाता है, और यह मंदिर देवी सती या शक्ति की शक्ति के रूप में पूजी जाती है।
  • कालिका पुराण:- इस पुराण के अनुसार, मां कामाख्या का योनि प्राकृतिक शक्ति की प्रतीक होता है और इसके माध्यम से सृष्टि का संचालन होता है।
  • महाभारत:- अर्जुन, महाभारत के पांडव योद्धा, ने अपने वनवास के दौरान भगवान शिव की आराधना के लिए कामाख्या मंदिर का दर्शन किया था।

कामाख्या मंदिर का महत्व योनि पूजा और शक्ति की पूजा के संदर्भ में है, और यह मंदिर शक्ति पीठ के रूप में महत्वपूर्ण है। यहां पर विशेष रूप से महानवमी और अंबुबाचा महोत्सव जैसे धार्मिक उत्सव आयोजित होते हैं और यहां के पुजारी और भक्त धार्मिक आयाम में मां कामाख्या की आराधना करते हैं।Kamakhya Devi Temple.

कामाख्या मंदिर में क्या खासियत  हैं? Kamakhya Devi Mandir Story 

कामाख्या मंदिर में कई खासियतें हैं, जो इसको एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बनाती हैं:

  • योनि पूजा:- कामाख्या मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यहां पर मां कामाख्या के योनि की पूजा की जाती है। यह योनि पूजा देवी की शक्ति के प्रतीक के रूप में होती है और इसे ब्रह्माण्ड की निर्माण और संरचना के साथ जोड़ा जाता है।
  • अंबुबाचा महोत्सव:-  कामाख्या मंदिर में विशेष तौर पर महानवमी और अंबुबाचा महोत्सव जैसे धार्मिक उत्सव मनाए जाते हैं, जिनमें भक्तगण दर्शन के लिए आते हैं और मां कामाख्या की पूजा करते हैं।
  • तांत्रिक पूजा:- कामाख्या मंदिर तांत्रिक साधना के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहां तांत्रिक अभ्यास करने वाले साधक ध्यान और तपस्या करते हैं और देवी कामाख्या की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
  • पुरातात्विक महत्व:- कामाख्या मंदिर का वास्तुकला और स्थल का ऐतिहासिक महत्व है। मंदिर का भव्य डोमेड छत और यौवनी स्थिति के प्रतीक द्वारा यह शक्ति पीठ के रूप में प्रसिद्ध है।
  • भक्ति और पूजा:-  कामाख्या मंदिर के प्रतिवर्ष लाखों भक्त और पर्यटक आते हैं और मां कामाख्या की पूजा करने के लिए यहां जाते हैं। मंदिर में भक्तों के लिए विशेष पूजा और दर्शन की व्यवस्था होती है, जो इसकी खासियतों में से एक है।

कामाख्या मंदिर का महत्व शक्ति के प्रतीक के रूप में है, और यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में भारत में माना जाता है।

कामाख्या मंदिर में योनि की पूजा क्यों होती हैं? Kamakhya Devi Temple Assam

कामाख्या मंदिर में योनि की पूजा का कारण धार्मिक और दार्शनिक प्राथमिकताओं से संबंधित है और यहां पर कई तात्त्विक और पौराणिक मान्यताएं हैं।

  • शक्ति का प्रतीक:-  योनि को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसका अर्थ है कि योनि पूजा के माध्यम से शक्ति देवी की पूजा की जाती है, और यह शक्ति सृष्टि, पालना, और संहार की सार्वभौमिक शक्ति का प्रतीक है।
  • शिव और शक्ति की मिलन का प्रतीक:- धार्मिक दृष्टिकोण से, योनि की पूजा शिव और शक्ति के मिलन की प्रतिक्रिया के रूप में की जाती है। यह मां कामाख्या और भगवान शिव के प्रेम की कहानी का भाग है, और इसके माध्यम से यह दिखाया जाता है कि यदि शक्ति और पुरुष एक साथ होते हैं, तो ब्रह्माण्ड की सृष्टि होती है।
  • सृष्टि के प्रक्रिया का प्रतीक:-  योनि की पूजा के माध्यम से सृष्टि की प्रक्रिया का प्रतीक भी दर्शाया जाता है। योनि से उत्पन्न होने वाला जीवन और सृष्टि का प्रक्रिया का प्रतीक होता है, और इसे मां कामाख्या के पूजा के माध्यम से मान्यता दी जाती है।
  • तांत्रिक अभ्यास:-  कामाख्या मंदिर का एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह एक तांत्रिक स्थल के रूप में माना जाता है, और यहां पर तांत्रिक साधना की जाती है। योनि की पूजा तांत्रिक साधना के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में की जाती है और यह तांत्रिक अभ्यास के लिए एक स्थल के रूप में महत्वपूर्ण है। Kamakhya Devi Temple.

कुल मिलाकर, कामाख्या मंदिर में योनि की पूजा धार्मिक और तांत्रिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और यह शक्ति और सृष्टि के प्रतीक के रूप में माना जाता है। Kamakhya Devi Mandir Guwahati.

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कामाख्या मंदिर कौन से तीन दिन बंद रहता हैं? On which day is Kamakhya Devi Temple closed?

कामाख्या मंदिर में वार्षिक रूप से तीन दिनों के लिए मंदिर का बंद रहता है, और इसे मंदिर का “अंबुबाचा महोत्सव” कहा जाता है। यह महोत्सव मां कामाख्या की पूजा और आराधना का महत्वपूर्ण समय होता है, और इसके दौरान भक्तगण मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। इस महोत्सव के दौरान मंदिर के द्वार तीन दिनों के लिए बंद होते हैं, और उन तीन दिनों के बाद मंदिर फिर से दर्शन के लिए खुलता है।

अंबुबाचा महोत्सव का समय साल के अनुसार बदल सकता है, क्योंकि यह हिन्दू पंचांग के अनुसार मनाया जाता है। इस महोत्सव के दौरान, भक्तगण मां कामाख्या की पूजा करने और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए मंदिर आते हैं, और यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव के रूप में माना जाता है।

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